पुलिस की ड्यूटी की , अपनी पढ़ाई जारी रखी , सबका साथ मिला और हरदोई पुलिस के इस सिपाही ने करके दिखा दिया , बन गया PCS अफसर

पुलिस की ड्यूटी की , अपनी पढ़ाई जारी रखी , सबका साथ मिला और हरदोई पुलिस के इस सिपाही ने करके दिखा दिया , बन गया PCS अफसर

कोशिश करने वालों की हार नही होती । करने से ही होगा और होकर रहेगा ।

कुछ ऐसा ही कर दिखाया है यूपी के हरदोई में पुलिस विभाग में तैनात आरक्षी दीपक सिंह ने । दीपक ने UPPSC से पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रदेश में 20वीं रैंक हासिल की है। पुलिस विभाग में आरक्षी के पद तैनात दीपक सिंह अपनी ड्यूटी के बाद नियमित तौर पर चार से पांच घंटे पढ़ाई करते थे । वह अपनी कामयाबी का श्रेय माता-पिता और अपने साथियों को देते हैं, जिन्होंने पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें प्रेरित किया । दीपक सिंह ने उस लाइब्रेरी का भी जिक्र किया और क्रेडिट दिया अपनी कामयाबी का जो हरदोई की पुलिस लाईन में बनी है जो कि प्रदेश की अन्य पुलिस लाइंस के लिए एक नज़ीर है । दीपक को उनकी इस कामयाबी की शाबाशी आज हरदोई पुलिस अधीक्षक केसी गोस्वामी ने अपने साथी अधिकारियों के साथ मिलकर दी और स्वंय ही दीपक का मुंह मीठा किया , बधाई दी ।

दीपक सिंह बाराबंकी के छोटे से गांव सेमराय के रहने वाले हैं. उनके पिता अशोक कुमार सिंह किसान हैं और माता गृहणी हैं। वह पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर आते हैं । दीपक बताते हैं कि उनके गांव व परिवार में वह पहले ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी पाई और अधिकारी बन गए । उनके अधिकारी बनने की खबर से परिवार की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा । उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। दीपक ने पीसीएस की परीक्षा में 20वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल किया है। दीपक ने वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस में आरक्षी के पद पर नियुक्ति पाई थी । उनकी पहली पोस्टिंग हरदोई में ही हुई थी। तब से वह यहीं पुलिस विभाग में सेवाएं दे रहे हैं । वर्तमान समय में दीपक सिंह पुलिस कप्तान के आवास पर टेलोफोन पटल में तैनात हैं । वह बखूबी अपनी ड्यूटी को भी निभाते थे ।

दीपक सिंह बताते हैं कि कहीं वह अपने लक्ष्य से भटक ना जाएं, इसके लिए उन्होंने अपने बिस्तर के पास एक व्हाइट बोर्ड रख लिया था। जिस पर परमानेंट मार्कर से एसडीएम लिखा था। जैसे ही वह सोने जाते तो उन्हें बोर्ड देखकर अपने एसडीएम बनने का लक्ष्य याद रहता। सुबह उठते ही बोर्ड को देखकर लक्ष्य प्राप्ति में जुट जाते थे। दीपक ने इस सफलता के लिए ईश्वर, माता-पिता दोस्तों को श्रेय दिया है। जिन्होंने कहीं ना कहीं किसी ना किसी मोड़ पर उनके इस मुकाम को हासिल करने में मदद की ।




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